HUMARI DOSTI

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Monday, December 7

हम उन्हें भी चाहते है , दुश्मनों को क्या पता ?




ये सफ़र कितना कठिन है ,
रास्तो का क्या पता /
कैसे हम बचे है,
हादसों को क्या पता ? 

आंधिया चलती है ,
फिर सोचती कुछ भी नहीं 
टूटते है कितने पेड़ ,
आंधियो  को क्या पता ?

अपनी मर्जी से वो चूमे ,
अपने मन  से छोड़ दे 
किस कदर बेवस है ये गुल ,
तितलियो को क्या पता ?

एक पल मे राख कर दे ,
वो किसी का आशिया 
कैसे घर बनता है दोस्तों 
बिजलियो को क्या पता ?

आईने ये सोचते है
सच  कहा करते है वो,
उनके चेहरे पर है चेहर  
आइनों को क्या पता ?

जैसे वो है वैसे तो हम हो सकते नहीं मनु 
हम उन्हें भी चाहते  है  , दुश्मनों को क्या पता ?

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