Sunday, December 6
कैसा ये अजीब रिश्ता है?
क्यों ज़माने का डर लगता है?
अन्जाना होते हुए भी वो अपना लगता है,
क्यों अपनी बांते किसी को बताने को ?
किसी की बांते सुनाने को,
ये दिल बार बार कहता है /
वो शरारते , वो बांते
भुलाई नहीं जा सकती,
क्यों कुछ बांते किसी को बताई नहीं जा सकती?
फिर भी उससे छिपाई नहीं जा सकती?
कैसा ये अजीब रिश्ता है?
लगता कोई वो फ़रिश्ता है /
क्यों वो मुझसे दूर है?
फिर भी मेरी चिंता करने पर मजबूर है,
क्यों सामने आने से डरता है?
छुप कर मेरी सारी इच्छा पूरी करता है..........
कैसा ये अजीब रिश्ता है?
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