HUMARI DOSTI

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Saturday, December 10

कविताओं को समर्पित इस पृष्ठ की शुरुआत के लिए ( गोपाल दास 'नीरज')

 ( गोपाल दास 'नीरज') जी ने कहा है

कविता एक चिड़िया है
जो अपना घोंसला तो
पेड़ की ऊँची से ऊँची शाख पर बनाती है
लेकिन जो अपना भोजन
धरती के गन्दे से गन्दे कोने में खोजती है !


इसलिए,
हे संसार के महापुरुषों !
कविता मत करो
क्योंकि सृजन के लिए
उसके साथ
तुम्हें भी जमीन की
गंदगियों में उतरना पड़ेगा।







(मनु ) मै भी कविता करता हूँ ,  मै  भी जीवन की  सच्चाई  को पास से देखना चाहता हूँ ,
यहाँ मैंने अपने  कुछ जीवन की यादो को शब्दों  में बंधने की कोशिश की है,जिन्हें मैंने अपने दोस्तों से जाना तो कभी खुद की जिन्दगी में पाया   ...................

1 comment:

  1. तूफानों को आने दो, हम को है कोई डर नहीं .
    मौजों पे है मचलना, निकाल ली है कश्तियाँ.
    लगाने दो जोर आँधियों को, साहिल के पार जाना है.
    बस लहरें है और पाल है, अब कस ली हैं मुट्ठियाँ.
    खतरों से अब यूँ खेलना आदत में अपनी शुमार है.
    डर भला किस बात का, हिम्मत हम में बेशुमार है

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