HUMARI DOSTI

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Tuesday, January 19

पर जिन्दगी के कुछ और लम्हे आंगे अभी बांकी है,


पुत गई है आज कालिख यांदो के आईने पर  ,
पर जिन्दगी के  कुछ और लम्हे आंगे अभी बांकी है,
बहुत रोया बहुत देखा पर  तुझे समझना अभी बांकी है /
कभी नहीं कहा की प्यार करती हूँ  तुमसे,
नजरो ने भी नहीं किया कभी इजहार मुझसे,
मै पागल हूँ ,जो तुझे समझने मे इतना वक्त लगाया पर,




कुछ याद आ रहा है  की उस दिन तुमने 


शर्ट की आस्तीन मुट्ठी में भींच रखी थी ,


चेहरे पर एक झूठी मुस्कान की चादर भी चढ़ा  रखी थी


अरे पगली एक बार तो कह देती .......


मै ये समझता रहा की तू मुझे बस दोस्त मानती है,
पर मै क्या जानू दिल ही दिल मे मुझे भगवान  मानती है,



आज दो मौते हुयीं हैं ...
फर्क इतना है,
कि एक अर्थी चार कन्धों पर उठ रही है,
और एक अपने ही दो पैरों पर खड़ी है,
पर जिन्दगी के  कुछ और लम्हे आंगे अभी बांकी है,
बहुत रोया बहुत देखा पर  तुझे समझना अभी बांकी है /

Monday, January 11

ये बांत है उस रात की ,



ये बांत है उस रात की ,
जब चुपके से मुझसे तुम मिलने आई थी ,
चेहरे को घुंघट मे छिपाकर धीरे से मुस्कराई थी,
फिर तुमने मुझको एक बात बताई थी,
एक मिठाई भी खिलाई थी,

उस रात सब थम सा गया था,
जब तुमने प्यार का इजहार किया था,

तभी मम्मी की आवाज आई
वो मुझे नींद  से जगा गई,
कितना प्यारा सपना था,
तुमने मुझे अपना बनया था,
कितना प्यारा सपना था //

ये वक्त जब तलक आजमाएगा मुझे,




ये वक्त जब तलक आजमाएगा  मुझे,
मुश्किलों में जिन्दगी  जीना सिखाएगा मुझे,  
वक्त के   जिस ताप से मैं  तप रहा हू रात दिन,
एक दिन तपाकर वो सोना बनाएगी मुझे /
मै तो ओ हस्ती हूँ
जिसकी चमक कभी मिटती नहीं ,
धुल के ये कड़  तू भला क्या मिटाएगा मुझे,



एक छोटी सी  परी है, उड़ने को खड़ी है,
 न जाने किन सपनो मे खोई है
लगता जैसे कोई छुई मुई है

जब कोई किसी के लिए लिखने लगता है



जब कोई किसी के लिए लिखने लगता है,
अकेले में मुस्कराने लगता है,
सबके होते कही खोने लगता है,
तो उसको प्यार होने लगता है ,
येसा ये जग कहने लगता है /


जब कोई किसी के लिए लिखने लगता है


बचपन का दोस्त भी पराया होने लगता है,
जब कोई पराया अपना होने लगता है,
पापा की बांते  शूल सी चुभने लगती है,
और माँ का प्यार भी कम लगाने लगता है /


जब कोई किसी के लिए लिखने लगता है
ये जग उसे प्यार कहने लगता है /

Saturday, January 2

जन्म दिन की हार्दिक बधाई /




चीरती है कीर्ति ,
केक 2 जनवरी को,
खोजती   है इनकी निगाहे किसी परफेक्ट मैन   को
न हो पतला ,न हो लम्बा ,
न हाथी जैसा मोटा हो                      
न हो काला ,पिने वाला
चूहा  जैसा   न हो छोटा                                      
भगवान से बस यही दुया करो की ,
वो कुछ कुछ jokar  जैसा हो,
मिले तुमको हजारो खुशिया,
यही मेरी kamana  हो,
जन्म दिन की हार्दिक बधाई /

Friday, January 1

मुझको उसने सिखाया है अपनी तरह जीना





क्यों उसके आँखों का काजल ,छा जाता बन कर बादल ?                      
क्यों उसके माथे की बिंदिया, उड़ा ले जाती निंदिया ?
क्यों उसके होंठो की  मुस्कराहट ,देती है कुछ आहट है ? 
क्यों उसके रेशमी  बाल,  छा  जाते घटा  बन हर  साल ?
न जाने क्यों उसकी हर अदा मे होना चाँहू  फ़िदा ?


कभी न हो वो मुझसे जुदा,
क्यों लगता है डर मुझको आने वाले कल से ?
क्यों हैं ,मुझे इतना भरोसा उससे ?                                    
क्यों नहीं डरता मै अब किसी हार से,


शायद  जादू है ये उसके प्यार का ,
वो मुझे न जाने कितने,
 सवालो के जाल मे फँसाती है /
तन्हाई मे भी मुझको हँसाती है,


यकीं है मुझे खुद से ज्यादा उस पर,
अगर गया मै भटक   भी  तो ,
रहेगी सही राह दिखने के  लिए वो  यहाँ पर /
क्यों मेरे सवाल  इतने उलझे  हुए  है?
फिर भी ये उसके लिए सुलझे हुए है /


मुझको उसने सिखाया है  अपनी तरह जीना,
हर गम को  ख़ुशी  ख़ुशी सहना /