Monday, January 11
जब कोई किसी के लिए लिखने लगता है
जब कोई किसी के लिए लिखने लगता है,
अकेले में मुस्कराने लगता है,
सबके होते कही खोने लगता है,
तो उसको प्यार होने लगता है ,
येसा ये जग कहने लगता है /
जब कोई किसी के लिए लिखने लगता है
बचपन का दोस्त भी पराया होने लगता है,
जब कोई पराया अपना होने लगता है,
पापा की बांते शूल सी चुभने लगती है,
और माँ का प्यार भी कम लगाने लगता है /
जब कोई किसी के लिए लिखने लगता है
ये जग उसे प्यार कहने लगता है /
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