HUMARI DOSTI

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Saturday, December 10

कविताओं को समर्पित इस पृष्ठ की शुरुआत के लिए ( गोपाल दास 'नीरज')

 ( गोपाल दास 'नीरज') जी ने कहा है

कविता एक चिड़िया है
जो अपना घोंसला तो
पेड़ की ऊँची से ऊँची शाख पर बनाती है
लेकिन जो अपना भोजन
धरती के गन्दे से गन्दे कोने में खोजती है !


इसलिए,
हे संसार के महापुरुषों !
कविता मत करो
क्योंकि सृजन के लिए
उसके साथ
तुम्हें भी जमीन की
गंदगियों में उतरना पड़ेगा।







(मनु ) मै भी कविता करता हूँ ,  मै  भी जीवन की  सच्चाई  को पास से देखना चाहता हूँ ,
यहाँ मैंने अपने  कुछ जीवन की यादो को शब्दों  में बंधने की कोशिश की है,जिन्हें मैंने अपने दोस्तों से जाना तो कभी खुद की जिन्दगी में पाया   ...................

Friday, December 9

बीते हुए दिनों की याद है दोस्ती


 बीते हुए दिनों की याद है दोस्ती 











 बीते हुए दिनों की याद है दोस्ती 
मुसीबत मे मदद की फरियाद है दोस्ती 
टूटे हुए दिलो को भी जोड़ दे   ,
दुश्मनी की जंग मे आबाद है दोस्ती  


भरोसे का दूसरा नाम है दोस्ती 
कुदरत से भी हासिल एक ईनाम है दोस्ती

कुछ एसे  भी लोग है यहाँ 
जिनकी wajah से बदनाम है आज दोस्ती

काँटों की झाड़ मे गुलाब है दोस्ती
दुनिया मे एक खुली किताब की तरह 
हर  प्रश्न का जवाब है ये  दोस्ती



Thursday, December 8

माँ आज मुझे तेरी बहुत याद आती है ,





माँ आज मुझे तेरी  बहुत याद आती है ,
 मै कितना  नादान था , 
तेरी बाँतो से कितना अन्जान था /
अपनी शरारतो  से  मै तुझे  हँसता था , 
कभी कितना रुलाता था ,
याद है आज भी वो दिन,
मै जब तेरी उंगली पकड़ कर चलता था ,
तेरी गोद  मे सर रख कर कहानी सुनता था /




माँ आज मुझे तेरी  बहुत याद आती है 
मै कितना  नादान था , 
तेरी बाँतो से कितना अन्जान था 
तुने मुझे कितना समझाया  था,
पापा की मार से  बचाया  था
खुद रातो   को  जग कर ,
मुझे सुलाया था
मेरी खुशियों को पूरा करने के  लिए,
कितनी ही बार ,
अपनी खुशियों  का बलिदान किया था /


आज भी  याद है मुझे वो रात ,
जिस दिन तेरे, 
थोडा सा डाटने पर ,
घर से भाग गया था /




माँ आज मुझे तेरी  बहुत याद आती है 
मै कितना  नादान था , 
तेरी बाँतो से कितना अन्जान था 


घर में थी कितनी  खुशिया ,सब मेरे साथ  थे


पर माँ , 
मै जब घर से दूर था  
सड़क पर खुले आसमान के नीचे सोता था ,
तब तेरी बांहों की बहुत याद आती थी,
जब मै भूखा  रहता था तब तेरे ,
हांथो का खाना बहुत याद आता था ,
 जब रांतो को  छिप कर रोता था 
तब तेरा छिप कर,
रोना याद आता था,
जब मै पानी के लिए भी,
पसीने की धार बहता था,
कंठ मेरे सुख   जाते थे जब ,
तब तेरा दूध पिलाना याद आता था /
जब मै सच्चाई से  लड़ता था,
तब मेरे लिए ,
तुम्हारा पापा से लड़ना याद  आता था,




माँ आज मुझे तेरी  बहुत याद आती है 
मै कितना  नादान था ,तेरी बाँतो से कितना अन्जान था 


माँ आज मै घर आ गया हूँ , 
फिर  तुम से  कहानी सुनना चाहता हूँ ,
पर मै नहीं जानता था कि,
मेरे बिना तुम जी नहीं सकी,
मेरे जाने  पर तुम ,
अपनी जिन्दगी  से लड़ न  सकी /


माँ आज मुझे तेरी  बहुत याद आती है / 


मै कितना  नादान था , 
तेरी बाँतो से कितना अन्जान था 

Wednesday, December 7

बहुत कमी खलती है इस संसार मे


  
हमेशा अपनी बांहों का सहारा दिया था,
अपने परवेश से मुझे एक  किनारा दिया  था,
टूट कर बिखर  जाती हूँ  मै, अब इस सूनेपन के द्वार पर ,
जहाँ  प्यार तुमने बहुत सारा दिया था /


 ईश्वर  ने मुझे अपने भाई सा सितारा  दिया था

फिर से लौट कर आ जाओ ,मेरे इस जीवन के आँगन मे 
जहाँ  बहुत सा वक्त हमने,  साथ  गुजारा किया था

बहुत कमी खलती है इस भीड़ भरे संसार मे
फिर से लौट कर आ जाओ ,मेरे इस जीवन के आँगन मे  
ये मेरी प्यारी बहना कहती है ......... 

Tuesday, December 6

क्या कहती है मेरी प्यारी बहन की जिन्दगी








न जाने कितने राज छिपाती है जिन्दगी,
हर पल कुछ नया सिखाती है  जिन्दगी,


पल पल हँसाना , पल पल रुलाना,
न जाने कितने खेल दिखाती है जिन्दगी /
हर उलझे सवालो का जवाब है जिन्दगी,
म्नुह  न मोड़ ध्यान से देख कितनी प्यारी है जिन्दगी /


कभी धुप, कभी छाव   ,
बिन बादल पानी बरसाती है जिन्दगी /
पिता के प्यार और माँ  के प्यार में,
फुल सा खिल कर मुस्कराती है जिन्दगी /




पल में किसी का दूर हो जाना,
पल में किसी का जिन्दगी मे आना /
न जाने किस किस को भूलाती है जिन्दगी ?
अपने में उलझी कहानी है ये जिन्दगी /




सारी उम्र खुद को सुलझाती  है जिन्दगी
प्यार की प्यास मे, स्नेह की आस में,
खुद  को निरास पा कर मन को बहलाती है जिन्दगी ,
खुद मे घुट घुट कर रहने के  लिए ,
हर पल कुछ नया सिखाती  है जिन्दगी /




मुह न मोड़ पास से देख अपने प़र  इतराती है जिन्दगी
आज बहुत कुछ सुनाती है जिन्दगी /
 दुखी हू  कोई पास नहीं है ,
खुश हू कुछ खास नहीं है ,


बस इसी कसमकस में ,
बार बार उलझ जाती है  मेरी जिन्दगी


पता नहीं क्या क्या गुनगुनाती है जिन्दगी /
फिर भी मेरी कहानी सुनाती है मेरी जिन्दगी


ये कहती है  मेरे प्यारी बहन की जिन्दगी
एक प्यारा सा एहसास है उसकी ये जिन्दगी



Monday, January 31

हम आज एक पेड़ लगाये, दुनिया को हरा भरा बनाये,



क्या है मुझमे  येसी बात जो आप को लगे खास
आज बताना चाहता   हूँ, ,जरा पास तो आओ मेरे यार
१९८७ में जन्मा मैं,लखनऊ में पढ़ा लिखा बड़ा हुआ मैं,
खुले आसमान में उड़ना चाहता हूँ ,अपनी एक अलग पहचान पाना  चाहता हूँ,
कविता लिखता हूँ,फोटोग्राफी करता हूँ,
समय  मिले तो देश दुनिया भी घूम लेता हूँ,
लोगो से उनके हाल चाल  भी पुछ  लेता हूँ,
एक छोटा सा है मेरा  सपना,
सारी दुनिया में हो खुशिया ,
कुछ करने का जूनून है, नई सोच है  ,
ताकत भी है दोस्तों कि मेरे पास,
फिर  क्यों न हो ये जीवन मेरे लिए कुछ खास ,
इस साल एक छोटा सा  वातावरण जागरूकता  अभियान चला रहा हूँ,
आप सभी को इसके लिए बुला रहा हूँ,
आज अपने सपने के बारे में बता रहा हूँ,
आप से सहयोग की उम्मीद   कर रहा हूँ

जन्मदिन हो या हो कोई त्यौहार ,
हम दे अपनों को पेड़ो का प्यारा सा  उपहार ,
जो हो सबके लिए यादगार,

आओ मिल कर इसको सफल बनाये ,
हम आज एक पेड़ लगाये,
दुनिया को हरा भरा बनाये,
चारो तरफ खुशिया फैलाये
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