HUMARI DOSTI

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Friday, January 1

मुझको उसने सिखाया है अपनी तरह जीना





क्यों उसके आँखों का काजल ,छा जाता बन कर बादल ?                      
क्यों उसके माथे की बिंदिया, उड़ा ले जाती निंदिया ?
क्यों उसके होंठो की  मुस्कराहट ,देती है कुछ आहट है ? 
क्यों उसके रेशमी  बाल,  छा  जाते घटा  बन हर  साल ?
न जाने क्यों उसकी हर अदा मे होना चाँहू  फ़िदा ?


कभी न हो वो मुझसे जुदा,
क्यों लगता है डर मुझको आने वाले कल से ?
क्यों हैं ,मुझे इतना भरोसा उससे ?                                    
क्यों नहीं डरता मै अब किसी हार से,


शायद  जादू है ये उसके प्यार का ,
वो मुझे न जाने कितने,
 सवालो के जाल मे फँसाती है /
तन्हाई मे भी मुझको हँसाती है,


यकीं है मुझे खुद से ज्यादा उस पर,
अगर गया मै भटक   भी  तो ,
रहेगी सही राह दिखने के  लिए वो  यहाँ पर /
क्यों मेरे सवाल  इतने उलझे  हुए  है?
फिर भी ये उसके लिए सुलझे हुए है /


मुझको उसने सिखाया है  अपनी तरह जीना,
हर गम को  ख़ुशी  ख़ुशी सहना /

1 comment:

  1. Apni khwabo ki shehzadi k liye jo tasavvur ha vo kabil-e-tareef ha....
    happy new yr...
    best wishes...

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